मैं Dr B R Ambedkar बोल रहा हूँ।
क्या आप मुझे सुन रहे हो?
क्या आप मुझे जानते हो?
क्या आप मेरी बातो को मान रहे हो?
नहीं न, इसीलिए मैं रो रहा हूँ.
ऐ मेरे समाज के पढ़े-लिखे बुद्धिजीवियो, आप मुझे धोखा
मत दो। मैंने अपने समाज के उत्थान के लिए अपना और अपने
परिवार के जीवन को न्योछावर कर दिया। मेरे बच्चे मर
गये और मेरी पत्नी भी
दर्दनाक मौत मर गई इन सबके बावजूद मैंने अपने समाज का साथ
नहीं छोड़ा। मेरे इस त्याग को क्या आप भूल गए,
आखिर कैसे आप अपने समाज को भूल सकते हो।
मेरे जन्मदिन पर आप मेरे संघर्ष को जरूर याद करना, अपने बच्चों
को मेरी बताई हुई बातो और चेतावनियों को जरूर बताओ
और अपने परिवार के साथ आज के दिन किसी
गरीब के घर जरूर जाना और पानी
पीना बस मेरी यही
विनती है।
कम से इतना ही कर दो मेरे समाज के
गरीब वंचित लोगो का इसी से भला हो
जाएगा।